रिश्तों पर कविता,rishto par kavita - Zindgi ek kavita

रिश्तों पर कविता,rishto par kavita

रिश्तेदारी पर कविता, relative poem

जिंदगी एक कविता

जिंदगी एक कविता

हक से मतलब है उसे,जिम्मेदारियां नागवार है।
हर चीज मुझसे छीनने को बेसब्र बेकरार है।
हमदर्दी जता रहा है जो आज अपना बनकर,
हमदर्द के लिबास में छिपा मतलबी किरदार है।

मीठी शहद सी जुंबा है,बड़ा उम्दा कलाकार है।
बेहद सूरत से खुबसूरत और सीरत से बेकार है।
मरहम लगा रहा है जो आज बदन के जख्मों पर,
उसका दिल भी तो देखो वो कितना वफादार है।

चेहरे पर मासूमियत करता रूह का व्यापार है।
दौलत के लिए बिकने को हर कीमत पर तैयार है।
रिश्तेदारी निभा रहा है वो आज बड़े ही शिद्दत से,
जब रिश्ता ही बचा नही तो वो कैसा रिश्तेदार है।
@साहित्य गौरव

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