हालत पर कविता , Halat par kavita
जिंदगी एक कविता
कौन कहता है पास गरीबों के,दौलत नही होती,
बिन पैसों के इस समाज में,इज्जत नहीं होती।
वो होते है गरीब दिल के,
और बेबस अपने करम से,
खोखले जिनके संस्कारों में,
ताकत नही होती,
अकेले ही रह जाते है,विरासत नही होती।
बिना ठोस बुनियाद के,इमारत नही होती।
क्यूं रोते रहते हो रोना,
हमेशा इसके उसके नाम से,
कोशिश करने वालो को,
कभी शिकायत नही होती
हमदर्दी किसी से पाने की,कोई चाहत नहीं होती।
जिंदगी में कभी भी उनके सियासत नही होती।
क्यूं दोष देते हो इतना,
बेगुनाह उस ईश्वर को,
बिन आस्था भक्ति भाव के,
इबादत नही होती,
यूं बैठे बैठे सोचने की, तुम्हे गर आदत नही होती।
आज करम अच्छे होते तो,ऐसी हालत नही होती।
@ साहित्य गौरव
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