Pehli Mohabbat Shayari - Zindgi ek kavita

Pehli Mohabbat Shayari

पहली मोहब्बत शायरी




मेरी पहली मोहब्बत का आगाज था वही,
मुस्कुराने का उनका यूं अंदाज था वही
बन संवर गुजरे जब भी वो इस गली से,
ये कातिलाना निगाहें वो मिजाज था वही।

होती थी रोज गुफ्तगू खामोश इस जुबां से,
लफ्जों से नहीं लेकिन शोख उस निगाह से,
उसका मेरा और रोज का रिवाज था वही।
मेरी पहली मोहब्बत का आगाज था वही।

Pehli Mohabbat Shayari

तड़पता रहें चकोर जैसे चांद के दीदार में,
बैठा रहा मैं यूंही बस उसके इंतजार में,
मेरा ये मर्ज ए इश्क का इलाज था वही।
मेरी पहली मोहब्बत का आगाज था वही।

हुआ न कभी हौसला इश्क के इजहार का,
चलता रहा सिलसिला ख़ामोशी से प्यार का,
इस खामोशी का इस तरह ये राज था वही।
मेरी पहली मोहब्बत का आगाज था वही।

Pehli Mohabbat Shayari

यूं नहीं की प्यार में कोई गुंजाइश थी नहीं,
बात करने की उनसे मेरी कोशिश थी नहीं,
एक दिल साला खुद मेरा दगाबाज था वही
मेरी पहली मोहब्बत का आगाज था वही,
@साहित्य गौरव 

Pehli Mohabbat Shayari

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