koun ho tum, कौन हो तुम - Zindgi ek kavita

koun ho tum, कौन हो तुम

कुछ खास तो नही,kuch khas to nahi

जिंदगी एक कविता

जिंदगी एक कविता

कौन हो तुम बताओ मुझे याद तो नही,
कही जिक्र हो तुम्हारा ऐसी बात तो नही।
माना खास होंगे तुम गैरों के लिए भले,
नजरों में मेरी तेरी कोई औकात तो नही।
....कौन हो तुम बताओ मुझे याद तो नही,

हश्र क्या हो उनका,जो बीच में ही छोड़ दे,
रहे मुसीबत के दिनो मे कभी मेरे साथ तो नही।
...कौन हो तुम बताओ मुझे याद तो नही।

आ गए हो मुंह उठाके अब कौनसे अधिकार से,
ये जायज है सवाल मेरा बेबुनियाद तो नही।
...कौन हो तुम बताओ मुझे याद तो नही,

खेल होगा पसंदीदा,दिल का बेशक तुम्हारे लिए,
जिंदगी है मेरी बिछी शतरंज की बिसात तो नही।
....कौन हो तुम बताओ मुझे याद तो नही,
@साहित्य गौरव

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