नाम पर कविता,name poem in hindi
नाम पर कविता,NAME POEM
जिंदगी एक कविता
कुछ लोग अपने आप में मगरुर हो गए,
शौहरत के नशे में बेहद मजबूर हो गए
जो कर गए समझौता अपनी ही हया से,
वो जिस्म दिखाकर अपना मशहूर हो गए
बदल गई है कितनी,तहजीब बज़्म की,
बदलते वक्त के नए नए दस्तूर हो गए।
वो इतरा रहे है आज बड़ा अपने इस्म पे,
चर्चे बदनामी के उनके यहां भरपूर हो गए।
हम कल थे जहां पर आज भी वही है,
बस पहले से भी जियादा महजूर हो गए।
हमें पसंद न आई ये चकाचौंध सी दुनिया,
खातिर अपने उसूलों के उनसे दूर हो गए।
@साहित्य गौरव
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