मतलबी लोग कविता,matlabi logo par kavita - Zindgi ek kavita

मतलबी लोग कविता,matlabi logo par kavita


मतलबी लोग/matlabi log
जिंदगी एक कविता

zindgi ek  kavita

इंसान बदल जाता है जरूरत बदल जाती है।
गुजरते वक्त के साथ ही आदत बदल जाती है।

यूं तो अकड़ के चलते है वो बड़े रूबाब से,
पर मतलब बदलते ही,फितरत बदल जाती है।

जब आदमी दर आदमी कीमत बदल जाती है।
तब रिश्तेदारी में आपकी एहमियत बदल जाती है।

मुस्कुरा कर मिलते है सभी मुझसे आजकल,
क्या हैसियत बदलतें ही,नफरत बदल जाती है।

इंसानों की हर दफा क्यूं इंसानियत बदल जाती है।
चंद रुपयों के लिए ही उनकी,सीरत बदल जाती है।

अपनेपन को मापने का क्या सटीक पैमाना है,
सब होते है तभी अपने जब शौहरत बदल जाती है।
हर एक नजर में आपकी इज्जत बदल जाती है।
@साहित्य गौरव

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