awara parinda kavita in hindi
आवारा परिंदा
जिंदगी एक कविता
बहती हवा का ठिकाना न पूछो।
हम्ही से हमारा फसाना न पूछो।।
है आवारा परिंदे कल चले जायेंगे,
होता कहां है आना जाना न पूछो।
मुसाफिर कही कभी रुकता कहां है,
कल होगा कहां आशियाना न पूछो।
ठहरा है वक्त कब किस के लिए जो,
भूले बिसरों से गुजरा जमाना न पूछो।
मिलती कहां है अब सच्ची मोहब्बत
पता आशिकों का मयखाना न पूछो।
रंगीन बहुत है महफिल यहां की,
मदहोशी का कितना पैमाना न पूछो।
अकेला चला हूं जिंदगी के सफर में,
है कौन अपना कौन बेगाना न पूछो।
हर शख्स से हुं मैं अनजान यहां पर,
किस किस से है मेरा दोस्ताना न पूछो।
@साहित्य गौरव
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