गुरुर पर कविता,igo poem,attitute poem
गुरुर/gurur/attitude/igo
जिंदगी एक कविता
देखी है लोगो की बेरुखी और
नज़र अंदाज़ करने का हुनर भी देखा है ,
इन से भी ज्यादा,ताकत का सुरुर देखा है!
जरुरत तुम्हे ही होती होगी,
यूं गुरुर दिखाने की,
क्योकि जिनकी औकत नहीं होती,
उनका ही गुरुर देखा है!
चार दिन की चांदनी है साहब
भ्रम यूं न पाल रखिए,
इस दुनिया ने अच्छे अच्छों का अंत जरूर देखा है।
@ साहित्यगौरव
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