जिंदगी एक कविता LIFE IS A POEM
Kavita
जिंदगी एक कविता
आम सी कविता है मेरी खास तुम बना दो।
रस,छंदों से सजा दो अनुप्रास तुम लगा दो।
...आम सी कविता है मेरी खास तुम बना दो।
गढ़ रहा हूं अभी अभी नौसिखियों की भांति,
अव्यवस्थित मेरे शब्दों को विन्यास तुम जमा दो।
....आम सी कविता है मेरी खास तुम बना दो।
अशुद्धियां है कहीं कहीं जरूर मेरी लेखनी में,
जो फिर न हो दोबारा ऐसा अभ्यास तुम करा दो।
...आम सी कविता है मेरी खास तुम बना दो।
क्षणिक कमजोर पड़ रहा है,विश्वास एक कवि का,
मेरी उम्मीद को जगा दो,आत्मविश्वास तुम बढ़ा दो।
....आम सी कविता है मेरी खास तुम बना दो।
बह रही जो स्वच्छंद सी, धारा कवियों के ह्रदय से
अविरल काव्य की गंगा से,मेरी प्यास तुम बुझा दो।
..आम सी कविता है मेरी खास तुम बना दो।
बढ़ रहा है धीरे धीरे तमस, मस्तिष्क में अज्ञान का
नव प्रभास बनकर उज्ज्वल प्रकाश तुम दिखा दो।
....आम सी कविता है मेरी खास तुम बना दो।
@साहित्यगौरव
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