फाहिस्ता ,poem on seller - Zindgi ek kavita

फाहिस्ता ,poem on seller

जिंदगी एक कविता

zindgi ek kavita

आजकल बाजारों में 
दिल बिकते बहुत है,
फ़ाहिशा बेआबरू से 
लोग दिखते बहुत है।
जरा आहिस्ता से चलना 
तुम इनकी गलियों में साहिब,
ये वो रास्ते है जो 
इत्र से महकते बहुत है।
@साहित्य गौरव


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