खास इश्क कविता , khas ishq
इश्क/ishqजिंदगी एक कविता
..कि खास क्या है इश्क में
मुझे तुम ही बता दो,
प्यार करने का सलीका
मुझे तुम ही दिखा दो।
जज़्बातों से खेलना,
मैंने सीखा नही अबतक,
जरा हुनर बरगलाने का,मुझे तुम ही सीखा दो।
मैं आदमी हूं सच्चा,
कोई बईमानी नही आती,
क्यूं ईमान कहां बिकता है,
कुछ तो पता दो।
.. खास क्या है इश्क में मुझे तुम ही बता दो,
बदलते है रंग कैसे
यहां गिरगिट की तरह लोग,
रंग पल भर में कैसे बदलूं
खुद के जैसा तुम बना दो।
... खास क्या है इश्क में मुझे तुम ही बता दो,
किरदार है मेरा माना जरा,
मुख़लिस सा मेरे यार,
कभी मेरी तरह तुम भी,।
साथ शिद्दत से निभा दो।
... खास क्या है इश्क में मुझे तुम ही बता दो,
@साहित्य गौरव
Zindgi ek kavita
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