दिखावा कविता, dikhawa kavita - Zindgi ek kavita

दिखावा कविता, dikhawa kavita

जिंदगी एक कविता

जिंदगी एक कविता

सलाह मेरी जो हर वक्त दरकिनार करते है,
रख के वजूद अपना बगल में,
वो आईने का दीदार करते है।
कोई कैसे समझाए उन्हे ये असले जिंदगानी,
जुनून इतना है उन्हे की वो,
खाब में भी शौहरत का इंतजार करते है।
वास्ता पड़ा नहीं अभी,उन्हे दुनिया के हकीकत से
चमचमाने वाली चीजें पे,
वो अब भी एतबार करते है।
सबक क्या होता है ये खुद में मशगूल लोग क्या जाने,
गर्त गहरा जो धीरे धीरे,
खुद के लिए तैयार करते है।
@ साहित्य गौरव

जिंदगी एक कविता

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