MAA PAR KAVITA, MOTHER - Zindgi ek kavita

MAA PAR KAVITA, MOTHER

Maa/मां
जिंदगी एक कविता

जिंदगी एक कविता

पवित्र प्रीति की परिभाषा तुम हो,
मृदुल ह्रदय की अभिलाषा तुम हो।
सम्पूर्ण सृष्टि की तुम हो आधार,
परमेश्वर पृथ्वी पर जो है साकार,
नमन तुम्हें हे! मातृत्व स्वरूपा,
परम ब्रह्म की जिज्ञासा तुम हो।
..पवित्र प्रीति की परिभाषा तुम हो।।
अद्वितीय,निरुपम तेरी माया,
त्रिदेव है तेरे आंचल की छाया,
माता अनसुइया का मातृत्व है तुमसे,
सतीत्व की अंतिम आशा तुम हो।
...पवित्र प्रीति की परिभाषा तुम हो।।
नवदुर्गा के नवरूप है तुझमें,
ममता के विभिन्न स्वरूप है तुझमें,
शिशु की पहली भाषा तुम हो,
..पवित्र प्रीति की परिभाषा तुम हो।।

@साहित्य गौरव

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