इंसानियत पर कविता,insaniyat par poem/ Humanity
इंसानियत पर कविता,Humanity,
Zindgi ek kavita
लफ्जों में अदब,
बज़्म में तहज़ीब रखिए,
मेहनत की आदत,
और हाथों में नसीब रखिए।
माना जमाना शराफत
का नही है लेकिन,
सूरत को नहीं अपनी
सीरत को शरीफ रखिए।
आजकल के रिश्तों में
खूब आ गई दरारें,
झूठा गुरुर छोड़कर
अपनों को करीब रखिए।
जरूरी नहीं कि हर
जरूरत पैसों से पूरी हो,
लोगो से अपने इसीलिए
संबंध अजीज रखिए।
@साहित्य गौरव
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