बारिश नजारा,rain poem
झमझमाती बारिश में,
ऐसे आई घर में खुशियां
जो फूले नहीं समा रहे,
किवाड़ और खिड़कियां।
नम हो गई है आंखे
इन दीवारों की खुशी से,
टपक रहे है आसूं
पक्की छतों पे हर कही से।
मारे खुशी के देखो
कई मेंढक उछल रहे है,
व्हाइट टाइल्स की फर्श पे,
रंगीन कीड़े चल रहे है।
लो कोना कोना घर का,
आज बाग बाग हो गया,
भर आया मन भी इसका
आंगन तलाब हो गया
@साहित्य गौरव
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